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श्री करौली शंकर महादेव केवल पूर्ण गुरु नहीं हैं, बल्कि शिव-शक्ति के संवाहक हैं। उनकी खामोशी भ्रम को जला देती है। उनकी निगाहें प्रेरणा देती हैं। उनकी उपस्थिति ने ही हजारों लोगों को योगिक क्षमता के गहरे आयामों से परिचित कराया है। तंत्र, महाविद्या और तंत्र क्रिया योग और स्मृति महाविज्ञान के प्रणेता, एक मौन उद्धारक के दुर्लभ मार्ग पर चलते हैं, जो योग्य साधकों को शक्तिपथ (ऊर्जा संचरण), आंतरिक शुद्धि और परम समर्पण के माध्यम से मार्गदर्शन करते हैं।

 

वे शिव की प्रचंड करुणा, हिमालय की गुफाओं की शांति और एक ऐसी चेतना की उज्ज्वल स्पष्टता का प्रतीक हैं, जिसके पास साबित करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, लेकिन देने के लिए सब कुछ बचा है।

सतोगुण से पार - शिवत्व की ओर

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